मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

अव्वल दिल की बात लबों पर आई क्यों?


खेतों में भूखें फिर से उग आई क्यों?
संसद वाले समझें पीड़ पराई क्यों?

दिल का फिर से रोना-धोना बहुत हुआ,
फिर से तुमने भेजी ये तन्हाई क्यों?

पीछे पछताने से अब होगा भी क्या?
अव्वल दिल की बात लबों पे आई क्यों?

इश्क, मुहब्बत, प्यार, वफ़ा, वादे, नाते
यार! सुनेगा ये सब वो हरजाई क्यों?

पहले  तो गर्दन से सिर कटवा डाला,
फिर मेरी खातिर माला बनवाई क्यों?

आजादी के दौर में इतनी जंजीरें,
काजी जी, महिलाओं को पहनाई क्यों?


©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
 सर्वाधिकार सुरक्षित

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