वक्त की है ये सदाकत दोस्तो
आ गया दौरे-खिलाफत दोस्तो
सुन दिये की इल्तिजा, सरकश हवा
कर रही फिर से सियासत दोस्तो
दाँव अपना सर लगाया, हर दफे
पर हुई, फिर से हजामत दोस्तो
दोस्ती जब दिल से है, तो रात भर
धड़कनों से क्या शिकायत दोस्तो
टीस दिल की औ शबों की तीरगी
आपकी ही है इनायत दोस्तो
आज भूले से इधर आये तो हैं
क्या उन्हें भी है नदामत दोस्तो
आ गया दौरे-खिलाफत दोस्तो
सुन दिये की इल्तिजा, सरकश हवा
कर रही फिर से सियासत दोस्तो
दाँव अपना सर लगाया, हर दफे
पर हुई, फिर से हजामत दोस्तो
दोस्ती जब दिल से है, तो रात भर
धड़कनों से क्या शिकायत दोस्तो
टीस दिल की औ शबों की तीरगी
आपकी ही है इनायत दोस्तो
आज भूले से इधर आये तो हैं
क्या उन्हें भी है नदामत दोस्तो
©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
सर्वाधिकार सुरक्षित
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