गुरुवार, 10 सितंबर 2015

आपसा भी मिला नहीं कोई

चाहतों का सिला नहीं कोई
दिल जलों का खुदा नहीं कोई

आपसे कम नहीं शिकायत, पर
आपसा भी मिला नहीं कोई

जानकर तुम बने हो' अनजाने
इससे बढ़कर अदा नहीं कोई

मौत हों मंजिलें भले, फिर भी
जिन्दगी तो सजा नहीं कोई

आ गले मिल कि जश्न तेज करें
कल किसी का पता नहीं कोई

आईना बन गई सजा मेरी
इस सजा की शफ़ा नहीं कोई

हादसे तो सफर में होते हैं
जिन्दगी का गिला नहीं कोई

©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
 सर्वाधिकार सुरक्षित

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