आशिकों पे रहम खाया कीजिए
वायदा करके तो आया कीजिए
नब्ज थमने सी लगी है आज फिर
फिर जरा चेहरा नुमाया कीजिए
जब सनम पत्थर हुये तो किस लिए
बेवजह आँसू बहाया कीजिए
मुस्कुराहट आपकी बेसूद है
जब तलक उल्फ़त न शाया कीजिए
दिल में आने से अगर परहेज है
रात ख़ाबों में न आया कीजिए
दूरियाँ कुछ भी नहीं, दिल से अगर
याद कीजे, याद आया कीजिए
©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
सर्वाधिकार सुरक्षित
वायदा करके तो आया कीजिए
नब्ज थमने सी लगी है आज फिर
फिर जरा चेहरा नुमाया कीजिए
जब सनम पत्थर हुये तो किस लिए
बेवजह आँसू बहाया कीजिए
मुस्कुराहट आपकी बेसूद है
जब तलक उल्फ़त न शाया कीजिए
दिल में आने से अगर परहेज है
रात ख़ाबों में न आया कीजिए
दूरियाँ कुछ भी नहीं, दिल से अगर
याद कीजे, याद आया कीजिए
©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
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