मंगलवार, 18 अक्तूबर 2016

जीतने को जीत का सपना जरूरी है


जीतने को जीत का सपना जरूरी है
जीत पाने के लिये लड़ना जरूरी है

आँसुओं के इस सफर में रोज जीने को
गमज़दा होकर भी पर  हँसना जरूरी है

बंजरों में फूल खिलना हो कठिन चाहे
दिल पे कोई नाम तो लिखना जरूरी है

बात कहनी भी नहीं आती मगर जिनको
बात क्यूँ उनकी पे सिर झुकना जरूरी है

आसमानों से मुझे रिश्ता निभाने को
बारिशों में दिल मिरा बहना जरूरी है

"मान" खुद में बेहतर कुछ ढूँढना है गर
आइने को सामने रखना जरूरी है



©2016 डॉ रविन्द्र सिंह मान
 सर्वाधिकार सुरक्षित

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