शनिवार, 30 दिसंबर 2017

पिछले सब दुःख-दर्द भुलादे साल नया



पिछले सब दुःख- दर्द भुलादे साल नया
रोते को इस बार हँसा दे साल नया

आने वाले के मन में सौगातें क्या
दिल का हर इक भेद बतादे साल नया

मासूमों के मुफ़लिस हाथों में फिर से
आटे की चिड़िया पकड़ा दे साल नया

कट्टर इन धर्मों के सर इक बार अगर
फिर सच्च की टोपी पहना दे साल नया

उनसे जोश-खुमारी में जो कर डाले
शायद पूरे करदे वादे साल नया

देख बहारें हम फिर से बेबाक हुये
दिल को फिर से राग बनादे साल नया

मद में डूबे सत्ता के सरदारों को
बेहतर है औकात दिखा दे साल नया

जीवन की शामें ढलती हैं सालों सी
सबको ये अहसास करादे साल नया

दीवानों को और दीवाना कर डाले
माशूकों को आग लगादे साल नया

साथ उठें जो हाथ सभी मजदूरों के
इनको इक हथियार नया दे साल नया


दिसंबर 2015

©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
 सर्वाधिकार सुरक्षित

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