शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

आजादी के पिचहत्तरवें साल में

 

आया-आया आजादी का साल पिचहत्तर

संघर्षों की गाथा गाएँ, आओ मिलकर


सन सत्तावन वाली जंग का कौन थे हिस्सा?

'खूब लड़ी मर्दानी' वाला याद है किस्सा?

'वीर तांत्या'  और 'नाना' ने धूल चटाई

कितने ही वीरों ने तब कुर्बानी पाई


फाँसी के फंदे पे पहला तिलक थे, 'मंगल'

शुरु हुआ इस तरह से आजादी का दंगल

मेरठ से चल दिल्ली तक पहुँचे बाँकुरे 

लेकिन "भारत माँ " के सपने रहे अधूरे 


अभी बहुत जानें बाकी थीं, जानी इस पर

संघर्षों की गाथा गाएँ, आओ मिलकर


'लाल'-'बाल' और 'पाल' बने अगला उजियारा

"आजादी है जन्म-सिद्ध अधिकार हमारा"

रहे जेल में 'तिलक ', लाठी 'लाला' ने खाई

जाँ की कीमत देकर यह आजादी पाई


'नेहरू', 'गाँधी', 'बोस', 'पटेल' का लोहा माना

देश के हर कोने ने पहना युद्घ का बाणा 

"सत्याग्रह" और "असहयोग" से "भारत छोड़ो "

तब भी कुछ ने चाहा हिंदू-मुस्लिम तोड़ो 


जांबाजों की कथा, अभी है इससे बढ़कर

संघर्षों की गाथा गाएँ, आओ मिलकर


सत्रह साल में 'करतारे' ने फंदा डाला

'उधमसिंह ' ने नहीं भुलाया जलियाँवाला 

'लाला' की हत्या का बदला लेकर माने

'भगतसिंह ', 'सुखदेव', 'राजगुरु ' दीवाने


"इंकलाब", "जयहिन्द" बना था सबका नारा

'दुर्गा', 'अश्फ़ाक', 'चंद्रशेखर', 'बिस्मिल' प्यारा

खूब चली जुल्मों की चक्की अण्डमान में 

कितने नाम नहीं आयेंगे किसी गान में 


जाने-अनजानों को याद करें बढ़-चढ़कर

संघर्षों की गाथा गाएँ, आओ मिलकर


©2021 डॉ रविन्द्र सिंह मान







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