कासगंज
आज वतन में हत्यारी सत्ता फिर से सुशोभित है
कासगंज का जश्न मनाओ, ये उत्सव प्रायोजित है
जिन पेड़ों की शाख कटी है, रोंयेगे वे उम्र तमाम
लेकिन देख रहा हूँ नेताओं के चेहरे पर मुस्कान
भारत माँ की जय बोलेंगे, बस्ती में विष घोलेंगे
टुकड़े- टुकड़े करने की प्रतियोगिता आयोजित है
कासगंज का जश्न मनाओ ये उत्सव प्रायोजित है
सत्ताओं ने सदा ही खेला हत्याओं का खुल्ला खेल
दाँये, बाँये, खादी, भगवा, इनका जनता से क्या मेल
भूख, गरीबी, बेरोजगारी के प्रश्नों से बचने को
हिंदू- मुस्लिम, मंदिर- मस्ज़िद का किस्सा उदघोषित है
कासगंज का जश्न मनाओ, ये उत्सव प्रायोजित है
अफवाहों की तेज हवा ने शोलों को भड़काया है
जो जिंदा हैं उनको भी कल मरा हुआ बतलाया है
झूठ फैला कर, आग लगा कर, खुद ही शोर मचाया है
आज तिरंगा इनके ही कुकर्मों पर खुद क्रोधित है
कासगंज का जश्न मनाओ, ये उत्सव प्रायोजित है
©2018 डॉ रविन्द्र सिंह मान
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