हमें क्या मालूम कि कैसे मंदिर, कैसी मस्जिद
कि क्या है गिरजा, क्या गुरुद्वारा
हमने मुहब्बत के पाठ पढ़के खुदा को जाना
हमने पखेरुओं को चाहा
जंगलों को गले लगाया
नदी के पानी से घूंट भरके
तपती रेतों पे सर नवाया
हम न माने, नहीं सुना और कुछ न बोले
हमको पीटा, मार डाला
हमारी हड्डियों का सुरमा अक्सर
हवा की आंखों में बहता आया
हम क्या जानें कौन न्यूटन
और क्या गति के फार्मूले
हमें पता है दिल के मसलों में सीधे चलना
झुक के रहना, नज़र न उठना
हम क्या जानें ये आर बी सी
भी क्या बला है
हम को खबर है तेरे हाथों की लाल मेंहदी
अपने लहू से दमक रही है
हमें पता है कि सिर्फ तू है
हमें पता है जहान तू है
हमें पता है कि कायनातों का रोग कैसे मिटाना है
हमें पता है जो तू उदास है तो तुझे कैसे हंसाना है
©2025 डॉ रविंद्र सिंह मान