शनिवार, 30 मई 2015

दीवानगी

दीवानगी

मेरी दीवानगी का असर देखिये
आज उनके हैं चश्म तर देखिये.

हम थक जायेंगे ये और बात है
अभी मंजिलों का सफर देखिये.

सादा-दिल लुटते हैं सदा के लिये
उनकी सादगी का कहर देखिये.

जम जायेगी तेरी आँखों में नमी
ना मेरा दर्द-ए-जिगर देखिये.

हम दिलजलों को पुकारते हैं दश्त
फिर शाम देखिये न सहर देखिये.

थोङी खुशनुमा थोङी गमगीन
जिंदगी की गुजर बसर देखिये.

चलते-चलते  रुक  गई  है हवा
आप मुङकर जिधर जिधर देखिये.

कितने बहके से हैं दिलों के हालात
जब से आये हैं वो ये शहर देखिये.

था हमें भी यकीं और उन्हें भी गुरूर
आज  किसके हैं  चश्म तर देखिये.

आज उनके हैं चश्म तर देखिये
मेरी दीवानगी का असर देखिये.


©1996 डॉ रविन्द्र सिंह मान
 सर्वाधिकार सुरक्षित

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