सफर के बाद खाली हाथ मिला हर कोई
ये जिंदगी है संग-दिल ना गिला कर कोई.
तमाम सफ़र में कल के अंदेशे छाये रहे
तलाशने पर मेरे मन में ही मिला डर कोई.
जिंदगी की कोई मंजिल कभी होती ही नहीं
सिर्फ राहें, थोड़े मौसम, हमसफ़र कोई.
जीत जाने और हराने का दौर ये कैसा
मेरे कातिल दिल को चाहिए तेरी नजर कोई.
लोग उम्मीद की हवाओं पे यकीं करते हैं
मगर तबाही के चल पड़े हैं बवंडर कोई.
साफगोई मेरी तरकीब मान ली तुमने
तेरा सितम ना रहा हमपे बेअसर कोई.
©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
सर्वाधिकार सुरक्षित
ये जिंदगी है संग-दिल ना गिला कर कोई.
तमाम सफ़र में कल के अंदेशे छाये रहे
तलाशने पर मेरे मन में ही मिला डर कोई.
जिंदगी की कोई मंजिल कभी होती ही नहीं
सिर्फ राहें, थोड़े मौसम, हमसफ़र कोई.
जीत जाने और हराने का दौर ये कैसा
मेरे कातिल दिल को चाहिए तेरी नजर कोई.
लोग उम्मीद की हवाओं पे यकीं करते हैं
मगर तबाही के चल पड़े हैं बवंडर कोई.
साफगोई मेरी तरकीब मान ली तुमने
तेरा सितम ना रहा हमपे बेअसर कोई.
©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
सर्वाधिकार सुरक्षित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें