शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

उसने साथ निभा देने का वादा नहीं किया


उसने  साथ निभा देने का वादा नहीं किया

हमने भी उल्फत का कोई इरादा  नहीं किया


पलकों पर रक्खा था सारे आंसू खारिज़ थे

दिल की धड़कन था पैकर का लिबादा नहीं किया


जिस जिस से मिलवाया खासम-खास कहा उसको

शायद ये गलती  थी उसको सादा नहीं किया


जो तरकीबें थीं कहने , सुनने, और चुप रहने की

सबको दूना बरता एक से आधा नहीं किया


ऐसा नहीं अब जां देने की नौबत आन पड़े

प्यार किया हमने पर इतना  ज्यादा नहीं किया


आज की धुंध  में बात वफ़ा की क्यों कीजे, और किससे 

सूरज ने भी शाम से कल कोई वादा नहीं किया


©2024 डॉ रविंद्र सिंह मान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें