मंगलवार, 2 जनवरी 2018

पुराना साल, नये साल से


पुराना साल, नये साल से


आने वाले की दस्तक, जाने वाले के दर पे
असमंजस के मौसम में, कोई तो होगा घर पे


बर्फ बिछी है रातों पर, कोहरा छाया है दिन पर
रिश्तों में है ठंड बहुत, नातों में धोखे परस्पर
प्रेम है इक मुरझाया फूल,जिसपे रंग हैं सदमों के
मायूसी की राहों पर, बोझल पाँव हैं कदमों के

ऐसी मुश्किल हालत में नया साल आया फिर से
आने वाले दे दस्तक, जाने वाले के दर पे


मीठे-मीठे गम के गीत, खुशियों के दर बंद सभी
सन्नाटों के सुन संगीत, बहरे हो गये लोग सभी
आते-आते लेता आ, हँसते-मुस्काते चेहरे
कुछ फूलों वाले मौसम, कुछ गाने गाते सेहरे

ऐसा ला कुछ यार नये, चिहरे खिल जायें सबके
आने वाले की दस्तक, जाने वाले के दर पे


आने वाले आ रो लें, नाचें, गायें, गले मिलें
मेरे गम की फिक्र न करें, तेरी उम्मीदें जी लें
मुझसा तू भी अगले साल, क्या यूँ होगा थका-थका?
नये साल से मिलने को  होगा बेहद संजीदा?

आज मगर तेरी उम्मीदों, उत्साहों पे जाँ सदके
जाते-जाते मैं खुश हूँ, आने वाले के कद पे


आने वाले दस्तक दे, जाने वाले के दर पे
बेचैनी के मौसम में, कोई तो होगा घर पे

31 दिसम्बर 2017

©2017 डॉ रविन्द्र सिंह मान
 सर्वाधिकार सुरक्षित

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