जिस राह हम चले थे वो जरकार है अब भी,
तुमको मेरी चाहत पे इख्तियार है अब भी.
हम थक चुके हैं चलके मंसूबों के जोर पर,
मंजिल जो चाहिये थी वो दरकार है अब भी.
तेरे तगाफुल ने जिस राह को मायूस किया,
तेरा, उसके हर मोङ को इंतजार है अब भी.
तेरे जाने से इस दिल की बेचैनी ना गई,
इक धङकन सी सीने में बेकरार है अब भी.
झूठी तेरी बातें, तेरा वादा-ए-आमद मगर
हर भरोसे पे दिल ये बरकरार है अब भी.
सूखे पड़े ऐसे जमीं दिल की तड़क गई
आँखों के बरसने का इंतजार है अब भी.
कोई भी बारिश इस तन को भिगाती नहीं
दिल को किसी दूजे से इन्कार है अब भी.
लोकराज में से "राज " चटकार गए तुम
भूखा सारा "लोक" मेरी सरकार है अब भी.
©1995 डॉ रविन्द्र सिंह मान
सर्वाधिकार सुरक्षित
तुमको मेरी चाहत पे इख्तियार है अब भी.
हम थक चुके हैं चलके मंसूबों के जोर पर,
मंजिल जो चाहिये थी वो दरकार है अब भी.
तेरे तगाफुल ने जिस राह को मायूस किया,
तेरा, उसके हर मोङ को इंतजार है अब भी.
तेरे जाने से इस दिल की बेचैनी ना गई,
इक धङकन सी सीने में बेकरार है अब भी.
झूठी तेरी बातें, तेरा वादा-ए-आमद मगर
हर भरोसे पे दिल ये बरकरार है अब भी.
सूखे पड़े ऐसे जमीं दिल की तड़क गई
आँखों के बरसने का इंतजार है अब भी.
कोई भी बारिश इस तन को भिगाती नहीं
दिल को किसी दूजे से इन्कार है अब भी.
लोकराज में से "राज " चटकार गए तुम
भूखा सारा "लोक" मेरी सरकार है अब भी.
©1995 डॉ रविन्द्र सिंह मान
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