सफ़र के बाद
शुक्रवार, 21 अगस्त 2015
रंग भरने को पर आसमाँ चाहिये
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बेवफा जिंदगी को वफ़ा चाहिये आसरा चाहिये इक सदा चाहिये भूलके रास्ता खो चुके हैं निशाँ देश को फिर नया रहनुमा चाहिये जिंदगी और भी आशिकी ...
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