शुक्रवार, 12 जून 2015

हर इक गाम पे परखा गया


हर इक गाम पे परखा गया आजमाया गया
जिंदगी भर कहीं पे जोङा कहीं घटाया गया

कतरा-कतरा  सर-औ-पा  बिखराया  गया
तुम्हारे इश्क के काबिल मगर न पाया गया

तुम्हारे  वास्ते  दुनिया में  सारे  रंग भरे
फिर तेरे वास्ते दुनिया को ठुकराया गया


तुम्हारी चाहतें थीं हम जो यहाँ तक पहुँचे
खुद ही को भूल गये, इतना भरमाया गया


उफक  पे  सारे  सितारे हैं  सिर्फ  मेरे लिये
जमीं  पे  रोज  मुझे  ये  ही  फरमाया  गया


तुम्हारे  बाद  दिन, कोई  भी  तुझ सा न था
तुम्हारे  नाम  से हर  रात को  बहलाया गया


                       ©2015 डॉ रविन्द्र सिंह मान
                             सर्वाधिकार सुरक्षित

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