कभी जो किसी ने मुहब्बत लिखी है
ज़माने ने कितनी अज़ीयत लिखी है
हमारे मुक़द्दर में मानो न मानो
मुहब्बत लिखी है बग़ावत लिखी है
जिसे देख लूँ फेर लेता है आँखें,
मिरे मुँह पे ऐसी सदाक़त लिखी है
खतों के सहारे भी जीती है दुनिया
मग़र आपने तो अदावत लिखी है
हवाओं में थोड़ी नमी है, ये हमने
निगाहों से तेरी इबादत लिखी है
अगर उनको चुभने लगी हैं ये बातें
तो सच जानिए सब हक़ीकत लिखी है
©2019 डॉ रविन्द्र सिंह मान
सर्वाधिकार सुरक्षित
ज़माने ने कितनी अज़ीयत लिखी है
हमारे मुक़द्दर में मानो न मानो
मुहब्बत लिखी है बग़ावत लिखी है
जिसे देख लूँ फेर लेता है आँखें,
मिरे मुँह पे ऐसी सदाक़त लिखी है
खतों के सहारे भी जीती है दुनिया
मग़र आपने तो अदावत लिखी है
हवाओं में थोड़ी नमी है, ये हमने
निगाहों से तेरी इबादत लिखी है
अगर उनको चुभने लगी हैं ये बातें
तो सच जानिए सब हक़ीकत लिखी है
©2019 डॉ रविन्द्र सिंह मान
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