गुरुवार, 14 मार्च 2019

कभी जो किसी ने मुहब्बत लिखी है

कभी जो किसी ने मुहब्बत लिखी है
ज़माने ने कितनी अज़ीयत लिखी है

हमारे मुक़द्दर में मानो न मानो
मुहब्बत लिखी है बग़ावत लिखी है

जिसे देख लूँ फेर लेता है आँखें,
मिरे मुँह पे ऐसी सदाक़त लिखी है

खतों के सहारे भी जीती है दुनिया
मग़र आपने तो अदावत लिखी है

हवाओं में थोड़ी नमी है, ये हमने
निगाहों से तेरी इबादत लिखी है

अगर उनको चुभने लगी हैं ये बातें
तो सच जानिए सब हक़ीकत लिखी है


©2019 डॉ रविन्द्र सिंह मान




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